Monday, June 23, 2014

क्या महगांई शायर बना सकती है... पर मैने शायरी कर दी... गौर कीजियेगा बेगम को पसंद आई...

के कर ले आख तू अब बंद प्यार का साज लाया हूं
सुनाना चाहता था जो तुझे आवाज लाया हूं
असल तो छोड़ मेरी जां की मैं तो ब्याज़ लाया हूं
आंखे खोल... इधर देख... ट्रेन के दो टिकट और साथ में मैं प्याज लाया हूं

राहुल देव अवस्थी क्रोधी

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