Friday, October 29, 2010

"krodhi" naam kyun?

ऐसा कतई नही है कि मै कोई खीजा हारा या जिन्दगी से झल्लाया कोई सनकी खूसठ हू जो बात बात मे क्रोध प्रकट करता हो.. असल बात क्रोध की भावना  में छुपी है मेरा मानना है क्रोध भावनाओ का अंतिम छोर है और उसको व्यक्त करने के बाद का सुकून सर्वोपरि है. तेज रफ्तार जिन्दगी, ताबड़तोड़ जीवन शैली और पारिवारिक आपा धापी के बीच एसा कई बार होता है जब हम खून का घूट पीकर रह जाते है ... ये खतरे को न्योता है कही न कही इस झल्लाहट का निकलना बेहद जरूरी है और क्रोध सर्वश्रेष्ठ माध्यम है पर सिर्फ लेखनी के द्वारा .. तो आज के बाद रोज समसामयिक मुद्दो पर मेरी क्रोधी टिप्पणियां जरूर होगी.. बदलाव होगा या नही ये नही पता पर खून का घूंट नही पीना पड़ेगा..

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