Friday, June 27, 2014

उसके तीतर का बाल है


"तीतर का बाल है"

जल्ले तू... तू ही जलाल है

मेरा तुझसे बस एक ही सवाल है

क्या करूं मै उसका

जिसके तीतर का बाल है...

 

चलते फिरते रोते गाते

करता रहता दिन भर बाते

कभी आते कभी जाते

और कभी जाते और फिर आते

दिन भर मचाता बवाल है

क्यूंकि उसके तीतर का बाल है

 

कभी अलग से... कभी साथ में

कभी दिन में... कभी रात में

कभी कभी तो हर एक बात में

रखता नहीं किसीका कोई ख्याल है

क्यूंकि उसके तीतर का बाल है

 

कभी लचक के कभी मचक के

कभी संभल के कभी धमक से

सारे रोये सिसक सिसक के

उससे डर के मारे सबका बुरा हाल है

क्या करे उस्ताद

उसके तीतर का बाल है

 
 
कभी लटक के... कभी अटक के

लेता सबकी पटक पटक के

बचके भागे भटक भटक के

वो मानसिक हत्या की जीती जागती मिसाल है

क्या करे भगवन

उसके तीतर का बाल है... 
 

 

खाज चले उसके परस्पर

हरदम ठास देता वो अपना सर

भाड़ में जाये जनता कहता

काम अपना बनता कहता

वो आत्मा से परमात्मा का साक्षात प्रश्नकाल है

क्या बताये गुरू

उसके तीतर का .... तीतर का ... तीतर का... 

 


 

 

राहुल देव अवस्थी क्रोधी

Monday, June 23, 2014

क्या महगांई शायर बना सकती है... पर मैने शायरी कर दी... गौर कीजियेगा बेगम को पसंद आई...

के कर ले आख तू अब बंद प्यार का साज लाया हूं
सुनाना चाहता था जो तुझे आवाज लाया हूं
असल तो छोड़ मेरी जां की मैं तो ब्याज़ लाया हूं
आंखे खोल... इधर देख... ट्रेन के दो टिकट और साथ में मैं प्याज लाया हूं

राहुल देव अवस्थी क्रोधी